औषधीय धूम्र के चिकित्सकीय प्रयोग : यज्ञ के सन्दर्भ में

प्राचीन काल से धार्मिक अनुष्ठानों में यज्ञ अथवा हवन हिंदू धर्म में शुद्धीकरण की एक पद्धति मानी गयी  है। औषधीय धूम्र  को यज्ञीय धूम्र के अंतर्गत माना जा सकता है। इस शोध लेख का उद्देश्य औषद्यीय धूम्र की विधि, समय, लक्षण, हानियां, लाभ और यज्ञ धूम्र से समानता का अध्ययन करना है। आयुर्वेद में औषधियों के ध...

Ausführliche Beschreibung

Gespeichert in:
Bibliographische Detailangaben
Veröffentlicht in:Interdisciplinary Journal of Yagya Research 2022-04, Vol.4 (2)
1. Verfasser: Lalima Batham
Format: Artikel
Sprache:eng
Schlagworte:
Online-Zugang:Volltext
Tags: Tag hinzufügen
Keine Tags, Fügen Sie den ersten Tag hinzu!
Beschreibung
Zusammenfassung:प्राचीन काल से धार्मिक अनुष्ठानों में यज्ञ अथवा हवन हिंदू धर्म में शुद्धीकरण की एक पद्धति मानी गयी  है। औषधीय धूम्र  को यज्ञीय धूम्र के अंतर्गत माना जा सकता है। इस शोध लेख का उद्देश्य औषद्यीय धूम्र की विधि, समय, लक्षण, हानियां, लाभ और यज्ञ धूम्र से समानता का अध्ययन करना है। आयुर्वेद में औषधियों के धूम्र का सेवन (धूम्रपान) विभिन्न प्रकार की औषधियों का प्रयोग कर विभिन्न रोगों के उपचार के लिए किया जाता है।  जो औषधीय गुण धूम्र के माध्यम से नासिका द्वारा लेने पर सीधे हमारे रक्त में घुलकर शरीर पर प्रभाव डालते हैं। आयुर्वेद में औषधीय धूम्रपान की अलग अलग विधियां बताई गयी हैं। आयुर्वेद के औषधीय वाष्प को जिसे स्वेदन क्रिया कहा जाता है। इसमें भी शरीर के बाहर से विभिन्न औषधियों का प्रयोग कर विजातीय तत्वों को बाहर निकला जाता है। यज्ञ में, अथर्ववेद (3/11/2) में कहा गया है कि अगर किसी व्यक्ति की स्थिति मरने जैसी हो भी गयी हो, उसकी जीवनी शक्ति का ह्रास हो गया हो तो भी यज्ञ उसे मौत के मुँह से बचा लेता है और उसे सौ वर्षों तक जीवित रहने के लिए बलवान, स्फूर्तिवान कर देता है। यज्ञ औषधीय धूम्र से शारीरिक स्वास्थ्य, मानसिक  स्वास्थ्य और आध्यात्मिक स्वास्थ्य लाभ की भी प्राप्ति होती है।  इस प्रकार, आयुर्वेद विधियों को सूक्ष्मता की द्रष्टि से यज्ञोपचार प्रक्रिया के अंतर्गत समझा जाना चाहिए। यज्ञीय धूम्र और औषधीय धूम्र में समानता को समझते हुए इस अध्ययन के माध्यम से यह कहा जा सकता है की औषद्यीय धूम्रपान को यज्ञीय चिकित्सा के अंतर्गत ही समझा जाना चाहिए। Yagya or Havan has been considered a method of purification in Hindu religion since ancient times in religious rituals. Herbal fumes can be considered similar to Yagya fumes. The purpose of this research article is to study the method, timing, symptoms, harms, benefits, and similarities of Yagya fumes with herbal fume. In Ayurveda, the fumes of herbal medicines (Dhoompana) are used for the treatment of various diseases by using different types of herbs. The medicinal properties of herbal fumes, when taken through the nostrils, directly dissolve in our blood and affect the body. Different methods of Dhoompana have been described in Ayurveda. The herbal vapor in Ayurveda treatment is called Swedana Kriya, in which the foreign elements are removed outside from the body by using various herbal vapors. Similarly, the physical health, mental health, and spiritual health benefits from Yagya fumes are also obtained. Regarding Yagya fumes, in Atharvaveda (3/11/2), it is said that even if a person's condition has become like death, his vitality has diminished, yet Yagya saves him from the mouth of death and makes him strong to live and invigorate
ISSN:2581-4885
DOI:10.36018/ijyr.v4i2.74